रविवार, 10 अगस्त 2014

परिवर्तन से परे

एक धागा विश्वास के नाम

                            -    अंकित झा

बहन, एक सखी, एक बालिका, एक माँ, एक रिश्ता, एक परछाई, एक जिद्द, एक आशा, एक अभिलाषा, एक विश्वास, थोड़ी चुलबुल तो कभ थोड़ी गंभीर, उल्लास का विषय, गर्व का कारण. भाई, एक मित्र, एक पिता, एक गंभीर मनुष्य, ख़ुशी जीने वाला, एक अहसास, एक अपेक्षा, थोड़ा शरारती, अहंकार का कारण. बहन तथा भाई के पवित्रतम संबंध के निर्वाहन का नाम है, रक्षा बंधन.

सांसारिक झमेले से दूर, अपने बिस्तर के एक छोर पर, मेरे राखी से छिटक के निकली मोतीरुपी एक कोई पदार्थ. मुझे याद दिला रही है कि किसी मनुष्य की संसार में क्या आवश्यकता है? यही कि जब तक तुम एक परिवार का हिस्सा हो, तुम्हारे पास एक अधिकार है, एक समष्टि कहलाने का. राखी से टूटने के बाद, उस मोती की क्या हैसियत, परिवार से छूटने के पश्चात् न कोई बेटा बचा, न कोई भाई बचा, न पिता, न कुछ और. संसार में परिवार का उतना ही महत्त्व है जितना किसी परिवार में अपनत्व का. परिवार को जोड़ के रखने वाला त्यौहार, रक्षा बंधन. एक विश्वास, एक आशा, एक स्वप्न, एक त्यौहार. मात्र त्यौहार नहीं, बहुत कुछ, एक परम्परा. एक प्रख्यात विरासत. भाई-बहन के रिश्ते की पराकाष्ठा, सत्य व सम्मोहन के बीच के विश्वास का पर्व, मानवीय रिश्तों के सबसे मनोरम उल्लास का पर्व. भाई की कलाई, बहन के स्वप्न. बहन की आशाएं, भाई के वचन. सावन के महीने की विदाई, पावन बेला, बरसात का मनोरम समय. हर ओर हर्ष, उत्कर्ष ही उत्कर्ष. ऐसे में रिश्तों के बुनियाद के सम्मान में ये परंपरा ह्रदय को वही सुख देती है जो भूख से पीड़ित दानी को किसी अन्य व्यक्ति को भोजन दान में देने से होती है.


राखी वस्तुतः धागों का पर्व है, धागा विश्वास के नाम. बहन के विश्वास का भाई के प्रतिज्ञा के नाम. बहन, एक सखी, एक बालिका, एक माँ, एक रिश्ता, एक परछाई, एक जिद्द, एक आशा, एक अभिलाषा, एक विश्वास, थोड़ी चुलबुल तो कभ थोड़ी गंभीर, उल्लास का विषय, गर्व का कारण. भाई, एक मित्र, एक पिता, एक गंभीर मनुष्य, ख़ुशी जीने वाला, एक अहसास, एक अपेक्षा, थोड़ा शरारती, अहंकार का कारण. बहन तथा भाई के पवित्रतम संबंध के निर्वाहन का नाम है, रक्षा बंधन. बहन की आँखें सदा ही भाई के कलाई पर बाँधी अपनी राखी के धागों से यह प्रश्न करती हैं कि वो जो मैंने कुछ धागों का वचन लिया था तुमसे, उसका विस्मरण तो नही  हुआ है न? मुझे इस जीवन सरिता में प्रवाहित होने के लिए यूँ अकेला तो नहीं छोड़ोगे न? मुझे हर समय आपके प्रेरणा की आवश्यकता रहती है, उस समय जब रास्तों पर मुझे कोई घूरता है तो मात्र यह सोंच कर ही शांत रह जाती हूँ कि हो सकता है इनकी बहनें नहीं होंगी और होंगी तो कभी कलाई पे ये धागे बंधे नहीं गये होंगे. इस बार जो धागा बंधे जाएँगे एक विश्वास के नाम बंधे जाएँगे. भाई मुझे वचन दे कि अस्मिता से दुर्व्यवहार नहीं करेंगे, भाई नतमस्तक हो वचनबद्ध खड़े हैं, इस आशा में, इस प्रतिज्ञा के साथ कि यदि अब किसी बहन की अस्मिता लुटी तो दोष मेरा होगा. जो दण्ड उचित हो मुझे मिले. बाँध दो राखी एक विश्वास को साक्षी मानकर कि अब कोई भाई किसी बहन की अस्मिता से नहीं खेलेगा, यदि ऐसा कुछ हुआ तो दोषी विश्व का हर भाई होगा. अब की राखी एक विश्वास के नाम. 

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