शनिवार, 28 दिसंबर 2019

चलते चलते

पाकिस्तान के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ शोएब अख्तर के दानिश कनेरिया के साथ किये जाने वाले भेदभाव की बात भारत में मोदी मीडिया ज़ी न्यूज़, टीवी 9 भारतवर्ष आदि के लिए संजीवनी बन के आया है। पाकिस्तान को बुरा कहने के इस सुनहरे अवसर को ये चैनल ऐसे भुना रहे हैं जैसे कुछ नया हो रहा हो और वो साबित करने में जुट गए हैं कि उनके पिता श्री मोदी ने और सौतेले पिता अमित शाह ने कितना आवश्यक काम किया है भारत के नागरिकता कानून में संशोधन ला कर।
मुझे यह अचरज में नहीं डालता क्योंकि 2005 के आस पास जब पाकिस्तान के बेहतरीन बल्लेबाज यूसुफ योहाना ने जब धर्मांतरण कर अपना नाम मोहम्मद यूसुफ किया था तब भी धर्म के नाम और किये जाने वाले भेदभाव व शोषण का मुद्दा खूब उठा था। यह सब पाकिस्तान में होना आम नहीं है परंतु इतना अचंभित करने वाला भी नहीं है। इसीलिए वो पाकिस्तान है, एक हताश देश जो अपनी नींव में उलझा हुआ है। लेकिन इससे भारत अपनी पीठ क्यों थपथपा रहा है? अगर शोएब अख्तर का खुलासा इतना आवश्यक है तो क्या मुम्बई रणजी खिलाड़ी अभिषेक नायर का खुलासा भूल गए जिसमें वो अजीत अगरकर, अमोल मजूमदार जैसे खिलाड़ियों पर उनपर जातिगत टिप्पणी व उनके साथ किये गए भेदभाव की बात करते हैं? नहीं भूलना चाहिए। शोषण समाज मे निहित है। जाति, धर्म, वर्ग, रंग, नस्ल और ना जाने कितने ही रूप में। भारत कतई पाकिस्तान नहीं है। भारत वो है जो पाकिस्तान नहीं है। और भारत को पाकिस्तान जैसा बनना भी नहीं चाहिए।
ख़ैर, दानिश कनेरिया ने सफाई दिया कि वो पाकिस्तानी हिन्दू होने में गर्व करते हैं और तमाम भेदभाव के बावजूद उस देश ने उसे प्यार दिया है।
PS: और जो देश में आज संघर्ष जारी है, इसी भेदभाव को खत्म करने की है। ताकि हमारे वर्ल्ड कप के हीरो जो देश मे अल्पसंख्यक धर्म से हैं फिर वो ज़हीर खान हों, मुनाफ पटेल, हरभजन सिंह या वर्ल्ड कप के महानायक युवराज सिंह, इन सब पर भविष्य में भारतीय नागरिक होने का सबूत देने की आवश्यकता ना पड़े।
जय हिंद। ज़िन्दाबाद।

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