रविवार, 5 फ़रवरी 2017

कविता

मेरी अगली कविता 
- अंकित झा 

मेरी अगली कहानी में, 
कोई राजा नहीं होगा,
और ना बहुत सारी रानियाँ,
कोई राजकुमार नहीं रूठेगा 
चाँद को लेकर, 
और उसे मनाने के लिए
नहीं रचे जाएँगे प्रपंच।
मेरी अगली कहानी में,
पसीने से तर वो औरत
नायिका है,
जो हाथ में हँसिया लिए,
खेत में युद्ध लड़ा करती है,
धूप से, नज़रों से, भविष्य के लिए,
उस खेत में,
जिसकी मेड़ पर, शीशम की छांव में,
झूल रहा है उसका
8 महीने का बच्चा।
और नायक होगा उसका पति,
जो सुबह-सुबह
बीड़ी सुलगा के निकलता है,
नयी सम्भावनाओं की तलाश में,
माथे पे गमछा और शीकन बांधे।
उस कहानी में उनकी
प्रेम कहानी भी होगी।
जहाँ नायक और नायिका,
तारों को गिनते हुए,
एक-दूसरे की रात बनते हैं।
नायिका के पसीने और
नायक की बीड़ी का गंध,
सम्भावनाएँ बनाती हैं।
जिन सम्भावनाओं की ख़ुशबू से,
समूचा वातावरण भर जाता है।
उस छोटी सी झोपड़ी में,
मेरी अगली कहानी
नायिका के आँचल में बंधी कूच
में फँसी हुई है,
जिसे नायक उम्मीद से देखता है,
टटोलता है, बचत की तरह।
ये मेरी अगली कहानी की
पूँजी है, ये पूँजी मेरी
पहली कमाई की तरह होगी,
पहले क़दम की तरह,
पहले प्रेम की तरह।
तुम्हारे और मेरे
पहले आलिंगन की तरह।।

कोई टिप्पणी नहीं: