मंगलवार, 15 नवंबर 2016

कविता

हमारी दोस्ती 
- अंकित झा 

हमारी दोस्ती सिर्फ 
तुम्हारा मुझे हँसाना नहीं है,
हमारी दोस्ती सिर्फ
मेरा तुम्हें सताना नहीं है,
हमारी दोस्ती सिर्फ
मेरी गलतियाँ नहीं हैं,
हमारी दोस्ती सिर्फ
तुम्हारी माफियां नहीं है।
हमारी दोस्ती सिर्फ
कक्षा के वो दो सीट नहीं है,
हमारी दोस्ती सिर्फ
तुम्हारा कन्धा और मेरी नींद नहीं है।
हमारी दोस्ती सिर्फ
मेरी भूख नहीं है,
हमारी दोस्ती सिर्फ
तुम्हारी रोटी नहीं है।
हमारी दोस्ती सिर्फ
नज़रों का मिलना नहीं है
हमारी दोस्ती सिर्फ
तुम्हारी लटों का समेटना नहीं है।
ये एक आदत है,
जो गीली बेंच की काई सी,
पक्की है,
फिसलन भरी,
गाढ़े रंग में,
सबको परेशान करती,
बेवजह पनपी हुई,
सृष्टि के साज़िश में,
खेलती हुई,
एक अंत की ओर
अग्रसर।
हमारी दोस्ती सिर्फ,
मेरे हाथ का वो छाता नहीं है,
हमारी दोस्ती सिर्फ
तुम्हारी गालों पर टपकते बारिश की बूँद नहीं है।।

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