मंगलवार, 11 नवंबर 2014

अंतर्मन से

पहचान
-          मनीष झा
भर ले नई उड़ान,
बना ले तेरी पहचान।
तेरे पंखों में है जान,
तुझे छुना है आसमान।।

तेरे इरादे है महान,
मत बन खुद से तू अनजान।
कर जा तू कुछ ऐसा काम,
जग बन जाए तेरा कद्रदान।।
तेरे पंखों में है जान,
तुझे छुना है आसमान।।

अपने मन की बात तू मान,
हौसलों को  चढ़ा तू परवान।
तू मनुष्य है क्षमतावान,
ईश्वर को भी है तुझपे गुमान।।
तेरे पंखों में है जान,
तुझे छुना है आसमान।।

तुझसे कहता है ये नादान,
अकेला खुद को ना तू जान।
तू हम सबका है अभिमान,
तुझे है जीतना ये जहान।।
तेरे पंखों में है जान,
तुझे छुना है आसमान।।


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