गेंदबाज़ कप्तान में क्या समस्या है?
- अंकित नवआशा
रामचंद्र गुहा अपने किताब "A Corner of the Foreign Field" में लिखते हैं कि क्रिकेट का खेल गेंदबाजों के प्रति हमेशा से नाइंसाफी करता आया है। जब भारत अंतरराष्ट्रीय खेल नहीं खेलता था उस समय बॉम्बे में "Quadrangular series" काफी महत्वपूर्ण मन जाता था जिसमें "अंग्रेज़, हिन्दू, मुस्लिम व पारसी" टीम खेला करती थीं।
उस समय हिन्दू की टीम के सबसे जबरदस्त खिलाड़ी थे "पालवांकर बालू"। पालवांकर बालू का भारतीय सामाजिक आन्दोलनं में योगदान पर कभी बाद में। बालू दलित थे और स्पिन गेंदबाजी करते थे। अपने टीम के वो बेहतरीन खिलाड़ी थे और कहा जाता है कि यदि उस समय भारत अंतरराष्ट्रीय खेलता तो बालू भारत के पहले क्रिकेट सुपरस्टार होते। लेकिन बालू कभी हिन्दू टीम के कप्तान नहीं बन पाए। एक कारण था कि हिन्दू टीम की कप्तानी एक दलित नहीं कर सकता और दूसरा आधिकारिक कारण बताया गया कि वह एक गेंदबाज हैं और उन्हें गेंदबाजी पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। और अब 100 साल के बाद भी हम वहीं हैं। गेंदबाज कप्तान कैसे बने।
ऑस्ट्रेलिया ने जब विश्व के नम्बर एक गेंदबाज पैट कमिन्स को कप्तान बनाया तो यही सवाल उठे। अगर अनुभवी होना एक पैमाना है तो क्रिकेट में बल्लेबाज़ क्या और गेंदबाज क्या? लसिथ मलिंगा ने कप्तान रहते हुए श्रीलंका को T20 विश्व कप जितवाया लेकिन जब भी श्रीलंका के महान कप्तानों की सूची बनेगी तो मलिंगा का कितना नाम लिया जाएगा? स्टुअर्ट ब्रॉड ने इंग्लैंड के लिए बेहतरीब कप्तानी की। पाकिस्तान के सबसे सफल कप्तान उसके तीन तेज़ गेंदबाज रहे हैं। भारत के बेहतरीन कप्तान कपिल देव अपने दौर के सबसे सफल गेंदबाज रहे। अभी भी केशव महाराज दक्षिण अफ्रीका के लिए क्विन्टन डि कॉक व टेम्बा बावुमा से अच्छे कप्तान साबित हुए हैं, न्यूज़ीलैंड के लिए भी केन विलियमसन के ना होने पर टिम साउथी टॉम लैथम से बेहतर कप्तान होते हैं और पाकिस्तान में भी बाबर आज़म के बाद शादाब खान को ही कप्तान के रूप में देखा जाता है।
फिर ऐसा क्यों?
आज जब पहले रोहित शर्मा और फिर के एल राहुल को भारतीय टेस्ट टीम का उप कप्तान बनाया गया, मुझे आर अश्विन को दरकिनार किया जाना खलता है। आर अश्विन रोहित शर्मा और राहुल दोनों से ज्यादा अनुभवी हैं और इस समय सबसे चपल खिलाड़ियों में गिने जाते है । लेकिन गेंदबाज हैं। 2000 के बाद भारत ने सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़, अनिल कुंबले, महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली के रूप में पूर्णकालिक कप्तान देखे। और इस बीच वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, सुरेश रैना, अजिंक्य रहाणे, और शिखर धवन स्टैंड इन कप्तान रहें। नतीजे भी अच्छे बुरे रहें। लेकिन इस दौरान हरभजन सिंह, ज़हीर खान, अश्विन, और भुवनेश्वर कुमार टीम में महत्वपूर्ण खिलाड़ी थे लेकिन उन्हें तरजीह नहीं मिली। ज़हीर खान आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स के कप्तान बने और उनकी बेहतरीन कप्तानी देखने को मिली और सबसे युवा टीम जिसमें श्रेयस अय्यर, ऋषभ पंत, करुण नायर जैसे खिलाड़ियों को उन्होंने जिस तरह संभाला शानदार था। वहीं हरभजन सिंह की कप्तानी में मुम्बई इंडियंस ने चैंपियंस लीग जीता। लेकिन देश के लिए कप्तान नहीं बन सके। क्यों? गेंदबाज थे। अनिल कुंबले जब कप्तान बने तो भारत ने ऑस्ट्रेलिया में पर्थ में इतिहास रचा, सिडनी में संभाला और बहुत कुछ हो सकता था।
ख़ैर, हवाला उम्र का दिया जाएगा, खिलाड़ी को खेल के आधार पर आंका जाए, उम्र के हिसाब से नहीं। अश्विन में अभी भी रोहित शर्मा से अधिक क्रिकेट बचा है।