चाहिए
- अंकित झाक्या चाहिए इस देश को,
मैं चाहिए न तुम चाहिए,
न ही अक्षुतम केशवम चाहिए,
चाहिए, उम्र भर का भरम चाहिए।।
खुली आँखों वाले स्वप्न चाहिए,
बंद आँखों वाली अच्छी नींद चाहिए,
कभी रात भर आँखें उनींद चाहिए
सब को घर में अपने एक किंग चाहिए।।
बड़ी गाडी, बड़ा घर, बड़ी टीवी, छोट कर,
सबको सपनो का अपने महल चाहिए
कोई रहे साथ सोने को, हो एक कन्धा रोने को,
सबको नाटो का मोटा बण्डल चाहिए।।
चाहतें खूब हसीन हैं, बड़ी रंगीन है,
आदतें निकम्मी, धुंधली यकीन है,
फिर भी चाहिए सारा आकाश चाहिए,
नहीं तो काली राहों वाला विकास चाहिए।।।।
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