रविवार, 23 मई 2021

व्यंग्य में उमंग

बंदर हँसते हैं 

- अंकित नवआशा 

बरसात आयी,
गरीब कौवे का घोसला उड़ गया,
बन्दर हंसते रहे,
उड़ते घोसलों की ताल पर,
मोर थिरकते रहे
बन्दर हंसते रहे
मुर्गे सुबह आके
बांग की जगह
गाली बकते
बंदर हंसते रहे,
बिल्ले दूध पीने में
मुंह जला बैठे
बन्दर हंसते रहे,
बिल्ले के मुंह जलने पर
चूहे नाचने लगे
बन्दर हंसते रहे,
शेर आया,
शेर फिसल गया,
फिसल के सर फुड़वा बैठा,
लोमड़ी ने ताली पीट कहा
पहले राजा हैं
जिन्होंने सर फुड़वाई देशहित में
बन्दर हंसते रहे
वहां से निकलते ही,
लोमड़ी के चिथड़े हो गए
बन्दर हंसते रहे।
चिथड़े के पास
आकर शेर बोला
बहुत दुख है पर
देशहित में करना पड़ा,
बन्दर हंसते रहे।।